आज जो कहानी मैं सुनाने जा रही हूँ, यूँ तो यह पद्मपुराण से ली गई है, लेकिन यह आज की परिस्थितियों के लिए बहुत सटीक बैठती है। यह कहानी स्वधर्म के बारे में है। स्वधर्म का अर्थ है किसी भी नियुक्त समय पर उस समय के अनुकूल कार्य करना या अपना कर्तव्य निभाना। सही समय पर सही कर्तव्य निभाने से जीवन में क्या-क्या उपलब्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं, यह हम इस कहानी के माध्यम से समझेंगे।
Friday, 5 July 2024
स्वधर्म पर कहानी - सभी के लिए एक सबक
आज जो कहानी मैं सुनाने जा रही हूँ, यूँ तो यह पद्मपुराण से ली गई है, लेकिन यह आज की परिस्थितियों के लिए बहुत सटीक बैठती है। यह कहानी स्वधर्म के बारे में है। स्वधर्म का अर्थ है किसी भी नियुक्त समय पर उस समय के अनुकूल कार्य करना या अपना कर्तव्य निभाना। सही समय पर सही कर्तव्य निभाने से जीवन में क्या-क्या उपलब्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं, यह हम इस कहानी के माध्यम से समझेंगे।
Swadharma Story – A LIFE LESSON FOR ALL
The story I am sharing today, though taken from the Padmapuran, is highly relevant to contemporary life. This tale is about Swadharma, which means fulfilling one’s duty at the appointed time. Swadharma emphasizes the importance of performing one's responsibilities according to the demands of the moment.
Through this story, we explore how adhering to Swadharma can lead to significant achievements. By performing the right duty at the right time, one aligns with the natural order and harmony of life, leading to personal and communal success. This timeless principle teaches us that dedication to our duties, regardless of their nature, is the key to realizing our potential and contributing positively to society. Let’s delve into this story to understand how practicing Swadharma can bring about profound accomplishments and fulfillment in life
Thursday, 27 June 2024
कृत्तिका नक्षत्र के मंदिर की कहानी
आज हम कृत्तिका नक्षत्र के मंदिर की कहानी सुनेंगे, लेकिन कहानी पर आगे बढ़ने से पहले, चलिए उन लोगों की कुछ विशेषताओं के बारे में सुनें जिनका चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र में होता है। कार्तिकेय को कृत्तिका नक्षत्र का देवता माना जाता है। नक्षत्रों में तीसरा स्थान कृतिका नक्षत्र का है। यह नक्षत्र आकाश मंडल में अग्निशिखा, लौ, छुरे की धार, कुल्हाड़ी, या चाकू की तरह दिखाई देता है। खुली आंखों से देखा जाए तो यह 6 तारों का समूह है, जो वृषभ राशि के समीप दिखाई पड़ता है। कृतिका नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है। कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं |इनमें आमतौर पर जिम्मेदारी की भावना कूट कूटकर भरी होती है और वे स्वतंत्र रहना पसंद करते हैं। उनमें असाधारण प्रतिभा और बुद्धिमत्ता होती है, लेकिन उनकी भावनाएँ उनकी कमजोरी होती है। जिनका चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र में हो उन्हें कृतिका नक्षत्र के मंदिर में वर्ष में कम से कम एक बार दर्शन करने के लिए जाना। एक ऐसा मंदिर है कथरा सुंदरेश्वरर मंदिर ।
Story of Krittika Nakshatra Temple
Friday, 14 June 2024
Lord Shiva’s Earth Element Temple
Thursday, 13 June 2024
एकंबरेश्वर मंदिर भगवान शिव का पृथ्वी तत्व मंदिर
पंचभूत मंदिर की श्रृंखला में एकम्बरेश्वर मंदिर भगवान शिव का पृथ्वी तत्व मंदिर है। भगवान शिव और माता पार्वती और भगवान शिव के गणों से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियाँ हैं।
Thursday, 6 June 2024
शटकासुर और भगवान कृष्ण
शकटासुर एक राक्षस था जिसे भगवान कृष्ण को मारने के लिए भेजा गया था और इसके बदले 3 महीने के कृष्ण ने उसे मार डाला था। भगवान कृष्ण ने निराकार शकटासुर का वधशकटासुर का वध कैसे किया इसकी कहानी सुनिए।
Sakatasura and Lord Krishna
Sakatasura was a Demon sent to kill Lord Krishna and instead was killed by the 3 month old Krishna. Listen to the story of how Lord Krishna Killed the formless SakatasuraLord Krishna Killed the formless Sakatasura.
Friday, 31 May 2024
कैसे बने मृकण्ड ऋषि चिरंजीवी
मार्कंडेय ऋषि 8 चिरंजीवियों या अमरों में से एक हैं। इस कहानी में, हम देखते हैं कि कैसे उनकी भक्ति, बुद्धिमत्ता और मृदु व्यवहार से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अमरता का वरदान दिया।
Martandeya Rishi and How He Became Immortal
Wednesday, 22 May 2024
भरनी नक्षत्र के मंदिर की कहानी
Bharani Nakshatra Temple Story
Every Nakshatra has some excellent features and some shallow side as well. In the series on Nakshatra Temples, we look into how the Temple of the nakshatra helps in improving the problems associated with the nakshatra.
Thursday, 16 May 2024
सीता माँ को वनवास के बाद भी वनवास क्यों
जब हम दूसरों को दुःख पहुँचाते हैं तो उनका दुःख ही हमारे दुःखों का कारण बन जाता है। माता सीता की इस बचपन की कहानी से हम एक सबक सीख सकते हैं।