अनंत चतुर्दशी हिंदू और जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे विश्वभर में भक्तों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उनके अनंत (असीम) रूप में की जाती है, जो उनकी अनंत शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है। 'अनंत' शब्द का अर्थ होता है 'असीम' या 'अनंतकालिक', जो भगवान विष्णु की असीम शक्तियों को दर्शाता है।
इस अवसर पर भक्त अनंत व्रत रखते हैं और भगवान से यह वचन लेते हैं कि उनकी कठिनाइयों और दुखों से मुक्ति मिलेगी। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ करता है, उनके जीवन से सभी कठिनाइयां भगवान नारायण (विष्णु) द्वारा दूर हो जाती हैं। कुछ लोग इस व्रत को चौदह वर्षों तक लगातार रखते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के "अनंत शय्या" रूप की पूजा की जाती है। इस रूप में भगवान विष्णु शयन मुद्रा में होते हैं, जो सृष्टि से पहले की अव्यवस्था और संतुलन की स्थिति का प्रतीक है। यह शयन मुद्रा दर्शाती है कि भगवान विष्णु सृष्टि की उत्पत्ति और विनाश के बीच संतुलन बनाए रखते हैं, और उनका यह रूप सृष्टि के अस्तित्व से पहले के समय का प्रतीक है।