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पद्म पुराण के अनुसार, सृष्टिखंड, अध्याय 17 में वर्णित है कि वज्रनाश नामक एक भयानक राक्षस पृथ्वी पर आतंक फैला रहा था और निर्दोष लोगों का वध कर रहा था। इस विनाशकारी स्थिति से निपटने के लिए सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा को हस्तक्षेप करना पड़ा।
ब्रह्मा ने वज्रनाश से युद्ध किया, और इस संघर्ष के दौरान, उनके हाथ में स्थित कमल की तीन पंखुड़ियाँ पृथ्वी पर गिर गईं। यह पंखुड़ियाँ जहां गिरीं, वह स्थान आज राजस्थान के पवित्र शहर पुष्कर के रूप में जाना जाता है।
पुष्कर की इस कथा का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह केवल एक धार्मिक कथा नहीं है बल्कि पुष्कर की आध्यात्मिक महत्ता को भी दर्शाती है। ब्रह्मा के कमल की पंखुड़ियाँ गिरने से इस पवित्र भूमि का उद्गम हुआ और यह स्थान तीर्थ यात्रियों के लिए अत्यंत पवित्र बन गया। पुष्कर झील, जो इन्हीं पंखुड़ियों के गिरने से बनी मानी जाती है, श्रद्धालुओं के लिए पवित्र स्नान का स्थान है और यहाँ स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
इस प्रकार, भगवान ब्रह्मा और पुष्कर की यह कथा न केवल हिंदू धर्म में गहरी आस्था का प्रतीक है बल्कि इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है।