
रामायण के किशकिन्दा कांड में ये वर्णन आता है कि जब सीताजीकी खोज करते समय समुद्रको पारकर लंका जाना था, तब विशाल सागर की अपार विस्तार देख कर सभी वानर चिन्तित होकर एक दूसरे का मुँह ताकने लगे। अंगद, नल, नील आदि किसी भी सेनापति को समुद्र पार कर के जाने का साहस नहीं हुआ।
उन सबको निराश और दुःखी देख कर वृद्ध ऋक्षपति जाम्बन्त ने हनुमान्जी से कहा, हे पवनसुत! तुम इस समय चुपचाप क्यों बैठे हो?
अनंत चतुर्दशी हिंदू और जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे विश्वभर में भक्तों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उनके अनंत (असीम) रूप में की जाती है, जो उनकी अनंत शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है। 'अनंत' शब्द का अर्थ होता है 'असीम' या 'अनंतकालिक', जो भगवान विष्णु की असीम शक्तियों को दर्शाता है।
इस अवसर पर भक्त अनंत व्रत रखते हैं और भगवान से यह वचन लेते हैं कि उनकी कठिनाइयों और दुखों से मुक्ति मिलेगी। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ करता है, उनके जीवन से सभी कठिनाइयां भगवान नारायण (विष्णु) द्वारा दूर हो जाती हैं। कुछ लोग इस व्रत को चौदह वर्षों तक लगातार रखते हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के "अनंत शय्या" रूप की पूजा की जाती है। इस रूप में भगवान विष्णु शयन मुद्रा में होते हैं, जो सृष्टि से पहले की अव्यवस्था और संतुलन की स्थिति का प्रतीक है। यह शयन मुद्रा दर्शाती है कि भगवान विष्णु सृष्टि की उत्पत्ति और विनाश के बीच संतुलन बनाए रखते हैं, और उनका यह रूप सृष्टि के अस्तित्व से पहले के समय का प्रतीक है।स्वधर्म हमें यह सिखाता है कि अपने कर्तव्यों का पालन करना, चाहे वे छोटे हों या बड़े, महत्वपूर्ण है। यह कहानी बताती है कि जब हम सही समय पर अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो हम न केवल व्यक्तिगत रूप से सफल होते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक योगदान देते हैं। इस सिद्धांत को अपने जीवन में अपनाकर हम आत्मिक संतुष्टि और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। आइए, इस कहानी के माध्यम से समझते हैं कि स्वधर्म का पालन कैसे हमारे जीवन को सार्थक बना सकता है।
The story I am sharing today, though taken from the Padmapuran, is highly relevant to contemporary life. This tale is about Swadharma, which means fulfilling one’s duty at the appointed time. Swadharma emphasizes the importance of performing one's responsibilities according to the demands of the moment.
Through this story, we explore how adhering to Swadharma can lead to significant achievements. By performing the right duty at the right time, one aligns with the natural order and harmony of life, leading to personal and communal success. This timeless principle teaches us that dedication to our duties, regardless of their nature, is the key to realizing our potential and contributing positively to society. Let’s delve into this story to understand how practicing Swadharma can bring about profound accomplishments and fulfillment in life