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Thursday, 26 December 2024

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आस्था और पौराणिक कथा का संगम

 






भारत में स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है। यह धार्मिक स्थल न केवल भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के अठारह शक्तिपीठों में से भी एक है। अपनी पवित्रता, आस्था और प्राचीन कथा के कारण, यह स्थल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की महिमा शिव पुराण के कोटि रुद्र संहिता में विस्तृत रूप से वर्णित है। इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा भगवान शिव, माता पार्वती, और उनके दो पुत्रों, कार्तिकेय और गणेश के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना को दर्शाती है। यह कथा उनके विवाह के संदर्भ में है, जो परिवारिक प्रेम और धार्मिक आदर्शों को प्रस्तुत करती है।

शिव परिवार में विवाह की चर्चा

एक समय की बात है, जब भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्रों, कार्तिकेय और गणेश के विवाह के विषय में चर्चा कर रहे थे। दोनों पुत्र विवाह योग्य आयु तक पहुँच चुके थे, और यह चर्चा थी कि पहले किसका विवाह किया जाए। शिव और पार्वती दोनों इस बात पर सहमत थे कि अब समय आ गया है कि उनके पुत्र गृहस्थ जीवन में प्रवेश करें।

हालांकि, यह तय करना कठिन था कि पहले किसका विवाह होना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती ने एक योजना बनाई और दोनों पुत्रों को बुलाकर इसे बताया।

विवाह का निर्णय लेने की योजना

भगवान शिव ने दोनों पुत्रों से कहा कि जो भी संपूर्ण पृथ्वी का सबसे तेज़ी से भ्रमण कर वापस आएगा, उसी का विवाह पहले होगा। यह सुनकर कार्तिकेय ने तुरंत अपने वाहन मोर पर बैठकर पूरी पृथ्वी का भ्रमण करने के लिए यात्रा शुरू कर दी।

दूसरी ओर, गणेश जी, जो अपने वाहन मूषक पर थे, उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग किया। उन्होंने संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करने के बजाय अपने माता-पिता की परिक्रमा की। गणेश जी का मानना था कि उनके माता-पिता ही उनका संपूर्ण ब्रह्मांड हैं। उनकी इस भक्ति और बुद्धिमत्ता से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न हो गए और उन्होंने गणेश का विवाह पहले तय कर दिया।

कार्तिकेय का क्रोध और मल्लिकार्जुन की उत्पत्ति

जब कार्तिकेय पृथ्वी का भ्रमण कर लौटे और यह देखा कि गणेश का विवाह पहले हो चुका है, तो वह अत्यंत क्रोधित हो गए। वे खुद को अपमानित महसूस करने लगे और कैलाश छोड़कर दक्षिण दिशा में एक पर्वत पर चले गए।

माता पार्वती और भगवान शिव अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए उनके पीछे गए। जहां कार्तिकेय रुके थे, वही स्थान मल्लिकार्जुन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भगवान शिव ने वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान होकर भक्तों को आशीर्वाद देना शुरू किया।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग न केवल शिव और कार्तिकेय के बीच के प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह भगवान शिव के भक्तों के लिए उनकी करुणा और कृपा का परिचय भी है। यहां आने वाले भक्त अपने जीवन की समस्याओं का समाधान पाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करते हैं।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि परिवार और रिश्तों में प्रेम और समझदारी कितनी महत्वपूर्ण होती है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी शिव परिवार के बीच के प्रेम और भक्ति का एक अमूल्य उदाहरण है, जो सभी भक्तों को प्रेरित करती है।