रुक्मिणी जी को देवी लक्ष्मी का अवतार कहा जाता था। उनकी बुद्धिमत्ता, उनकी सुंदरता और ईमानदारी अद्वितीय थी। कृष्ण के प्रति उनका प्रेम दिव्य और पूर्ण था। सबसे रोमांचक बात यह है कि उन्हें किसी चेहरे या शरीर से प्यार नहीं हुआ, बल्कि उन्हें कृष्ण के वीरतापूर्ण कार्यों से प्यार हो गया, बिना यह जाने कि वे कैसे दिखते हैं। यह प्रेम आत्मीय था।